प्रयोगकर्ता वार्ता:थारू भाषा उखान कुञ्ज
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-DULAL (कुरा गर्ने) ०२:३१, १० डिसेम्बर २०१३ (युटिसी(UTC))
थारू भाषा गजल - शिवाशा थारू[सम्पादन गर्नुहोस्]
घरके द्वार खुलाल छै दिलके द्वार कहाँबी त ओहो खुलाल छै मगर तक्दिरके द्वार बन्द रहलछै दिलके दर्द अब हम केकर्से बटबैं हर अश टुइटके धुल बनल छै पासमे& ऐबके कतेक दूर बैथल छै अपनो व्यके कतेक परै बनल छै केकरो नजिक लबैके सजाय् केकरोसे दिल लगयके सजाय् हमरसे बेसी और केकरा मिलालछै सांससे जिनगिके आश बरहैछै अशमे केकरो दिल शिवाश बनल छै मिलन त अब केवल मृत्युसे जुरल छै तक्दिर हमर केवल बिरहके टुक्रमे परल छै ( दोसर जनममे हम तोरे हेवौ--------) जनम मरन त हम नै जनै चियाइ फेनसे यै धरती में एबै आ नै एबै हम नै जनै चि यै हम त सिर्फ तोहरसे प्यार करै चि यै घरके द्वार खुलाल छै दिलके द्वार कहाँबी त ओहो खुलाल छै मगर तक्दिरके द्वार बन्द रहलछै
- शिवाशा थारू