वार्तालाप:दर्जी

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भैंस की टांग[सम्पादन गर्नुहोस्]

बहुत से लोग किसी एक शब्द को बार बार बोलने के आदि होते है, इन्ही शब्दो मे कुछ शब्द अन्य लोगो को भी प्रभावित करते है और उनकी भी आदत में आ जाते है इस प्रकार के शब्दों को तकिया कलाम कहा जाता है।

तकिया कलाम शब्द सामान्यत गाली के रूप में होते है ये शब्द मन मस्तिष्क पर ऐसे छा जाते है कि न चाहते हुए भी व्यक्ति तकिया कलाम शब्दो का प्रयोग करता है।

हम बात कर रहे है भैंस की टांग तकिया कलाम की, इस शब्द की उतपत्ति के बारे में निश्चित रूप से नही कहा जा सकता लेकिन इस शब्द के उच्चारण का तरीका राजस्थान के जयपुर जिले की देहाती बोल जैसा हैं अतः यह कह सकते है कि यह शब्द यही का होगा। भेेंस की टग गसह का प्रयोग जयपुुुर जिले में आमतौर पर किया जाता हैैं यह कोई गाली या अपशब्द नही है आप यूूँ समझे कि जब कोई भेेंस की टाँग का प्रयोग करता है तो वह व्यक्ति उत्साहित है और उत्साहवश ही तकिया कलाम मुह पर रहता है अति उत्साही होने पर दिमाग का वाणी पर नियंत्रण नही रहता और रिकॉर्डेड शब्द दोहराये जाते है।

जयपुर जिले में भैंस की टांग को मित्रता के साथ प्रेम पूर्वक बोला जाता है जिस प्रकार साला शब्द हर किसी को बोला जाता है

उदाहरण के लिये :- भैंस की टांग कल जब मै मेले में गया, रास्ते मे गुरुजी मिले। भैंस की टांग मै तो डर गया की पान की दुकान पर देखकर कहीं वहीं न पीट दे, भगवान ने बचा लिया आज तो भैंस की टांग।

भैंस की टांग ऑफिस में इतना काम है कि क्या बताऊँ भैंस की टांग शाम तक जान निकल जाती है।

इसी प्रकार मित्रता, प्रेम और अति उत्साहवश यह शब्द राम नाम की तरह फुट पड़ते है अति तो तब होती है जब चोट लगने पर भी उइ माँ, या आह की जगह भैंस की टांग की मुह से निकलती है

मेरे विचार से भैंस की टाँग आज बहुत प्रचलित हो गया है और जयपुर जिले का हर तीसरा व्यक्ति भैंस की टांग का प्रयोग करता है।

यह शब्द धीरे धीरे देहाती क्षेत्र में माता पिता यार के बाद चौथा शब्द है जो सबसे ज्यादा बोला जाता है।

भैंस की टांग यह लेख आपको पसंद आया होगा और मै आशा करता हूँ कि आप भी भैंस की टांग पर और विचार करेंगे। Nand kishor Keshav (कुरा गर्ने) १७:४०, २० नोभेम्बर २०१७ (युटिसी(UTC))