"अमृतसर" का संशोधनहरू बिचको अन्तर

विकिपिडिया, एक स्वतन्त्र विश्वकोशबाट
Content deleted Content added
कुनै सम्पादन सारांश छैन
कुनै सम्पादन सारांश छैन
पङ्क्ति १८: पङ्क्ति १८:
|vehicle_code_range = PB02
|vehicle_code_range = PB02
}}
}}
'''अमृतसर''' ([[पंजाबी भाषा|पंजाबी]]:ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) [[भारत]] के [[पंजाब]] [[प्रान्त]] का एक शहर है। अमृतसर [[पंजाब]] का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र शहर माना जाता है। पवित्र इसलिए माना जाता है क्योंकि सिक्खों का सबसे बडा गुरूद्वारा [[स्वर्ण मंदिर]] अमृतसर में ही है। [[ताजमहल]] के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को ही देखने आते हैं। स्वर्ण मंदिर अमृतसर का दिल माना जाता है। यह गुरू रामदास का डेरा हुआ करता था। अमृतसर का इतिहास गौरवमयी है। यह अपनी संस्कृति और लड़ाइयों के लिए बहुत प्रसिद्ध रहा है। अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बडा नरसंहार अमृतसर के जलियांवाला बाग में ही हुआ था। इसके बाद भारत पाकिस्तान के बीच जो बंटवारा हुआ उस समय भी अमृतसर में बडा हत्याकांड हुआ। यहीं नहीं अफगान और मुगल शासकों ने इसके ऊपर अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया। इसके बावजूद सिक्खों ने अपने दृढ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया। हालांकि अमृतसर में समय के साथ काफी बदलाव आए हैं लेकिन आज भी अमृसतर की गरिमा बरकरार है।
'''अमृतसर''' ([[पंजाबी भाषा|पंजाबी]]:ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) [[भारत]] को [[पंजाब]] [[प्रान्त]] का एक शहर हो। अमृतसर [[पंजाब]] का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र शहर मानिन्छ। पवित्र इसलिए माना जाता क्योंकि सिक्खों का सबसे बडा गुरूद्वारा [[स्वर्ण मंदिर]] अमृतसरमा नै छ। [[ताजमहल]] पछि सबसे ज्यादा पर्यटक अमृतसरको स्वर्ण मंदिरलाई नै हेर्न आउदछन। स्वर्ण मंदिर अमृतसर का दिल मानिन्छ। यह गुरू रामदास का डेरा हुआ करता था। अमृतसरको इतिहास गौरवमयी छ। यह अपनी संस्कृति और लड़ाइयों को लागि बहुत प्रसिद्ध रहेको छ। अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाहरु साक्षी रहेको छ। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बडा नरसंहार अमृतसरको जलियांवाला बाग में ही हुआ था। यस पछि भारत पाकिस्तानको बीच जो बंटवारा हुआ उस समय भी अमृतसर में बडा हत्याकांड हुआ। यहीं नहीं अफगान और मुगल शासकों ने यस माथि अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया। यसको बावजूद सिक्खों ने अपने दृढ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया। हालांकि अमृतसर में समयको साथ काफी बदलाव आएको लेकिन आज भी अमृसतर की गरिमा कायम छ।


== इतिहास ==
== इतिहास ==
[[चित्र:Goldentemple (82).JPG|right|200px]]
[[चित्र:Goldentemple (82).JPG|right|200px]]
अमृतसर लगभग साढे चार सौ वर्ष से अस्तित्व में है। सबसे पहले गुरू रामदास ने 1577 में 500 बीघा में गुरूद्वारे की नींव रखी थी। यह गुरूद्वारा एक सरोवर के बीच में बना हुआ है। यहां का बना तंदूर बडा लजीज होता है। यहां पर सुन्दर कृपाण,आम पापड,आम का आचार और सिक्खों की दस गुरूओं की खूबसूरत तस्वीरें मिलती हैं।
अमृतसर लगभग साढे चार सौ वर्ष से अस्तित्वमा छ। सबसे पहले गुरू रामदास ने 1577 में 500 बीघा में गुरूद्वारे की नींव रखी थी। यह गुरूद्वारा एक सरोवरको बीच में बनेको छ। यहां का बना तंदूर बडा लजीज हुदछ। यहां पर सुन्दर कृपाण,आम पापड,आम का आचार और सिक्खों की दस गुरूओं की खूबसूरत तस्वीर पाईन्छ।


अमृतसर में पहले जैसा आकर्षण नहीं रहा। अमृतसर के पास उसके गौरवमयी इतिहास के अलावा कुछ भी नहीं है। अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के अलावा देखने लायक कुछ है तो वह है अमृतसर का पुराना शहर। इसके चारों तरफ दीवार बनी हुई है। इसमें बारह प्रवेश द्वार है। यह बारह द्वार अमृतसर की कहानी बयान करते हैं। अमृतसर दर्शन के लिए सबसे अच्छा साधन साईकिल रिक्शा और ऑटो हैं।
अमृतसर में पहले जैसा आकर्षण नहीं रहा। अमृतसरको साथ त्यसको गौरवमयी इतिहासको अलावा केहि पनि छैन। अमृतसर में स्वर्ण मंदिरको अलावा देखने लायक केहि त्यो हो अमृतसरको पुराना शहर। यसको चारों तरफ दीवार बनेको छ। इसमें बारह प्रवेश द्वार छ। यह बारह द्वार अमृतसर की कहानी बयान गर्दछ। अमृतसर दर्शन को लागी सबसे अच्छा साधन साईकिल रिक्शा ऑटो हो।
इसी प्रचालन को आगे बढ़ने और विरासत को सँभालने के उद्देश से पंजाब पर्यटन विभाग ने [http://www.lovefazilka.org फाजिल्का] की एक गैर सरकारी संस्था ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन फाजिल्का से मिलकर, फाजिल्का से शुरू हुए इकोफ्रेंडली रिक्शा ने नए रूप, "ईको- कैब" को अमृतसर में भी शुरू कर दिया है | अब अमृतसर में रिक्शा की सवारी करते समय ना केवल पर्यटकों की जानकारी के लिए ईको- कैब में शहर का पर्यटन मानचित्र है, बल्कि पीने के लिए पानी की बोतल, पढने के लिए अख़बार और सुनने के लिए एफ्फ़ एम्म रेडियो जैसे सुविधाए भी है |
इसी प्रचालन को आगे बढ़ने और विरासत को सँभालने उद्देश से पंजाब पर्यटन विभाग ने [http://www.lovefazilka.org फाजिल्का] की एक गैर सरकारी संस्था ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन फाजिल्का से मिलकर, फाजिल्का से शुरू हुए इकोफ्रेंडली रिक्शा ने नए रूप, "ईको- कैब" को अमृतसर में भी शुरू गरेको | अब अमृतसर में रिक्शा की सवारी करते समय केवल पर्यटकों की जानकारीको लागी ईको- कैब में शहर का पर्यटन नक्सा , बल्कि पिउनको लागी पानी की बोतल, पढने को लागी अख़बार और सुन्नको लागी एफ्फ़ एम्म रेडियो जैसे सुविधाए पनि |


== मुख्य आकर्षण ==
== मुख्य आकर्षण ==
=== अमृतसर का स्वर्ण मंदिर ===
=== अमृतसर का स्वर्ण मंदिर ===
{{main|हरिमंदिर साहिब}}
{{main|हरिमंदिर साहिब}}
स्वर्ण मंदिर अमृतसर का सबसे बडा आकर्षण है। इसका पूरा नाम हरमंदिर साहब है लेकिन यह स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है। स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों पर्यटक आते हैं। अमृतसर का नाम वास्वत में उस तालाब के नाम पर रखा गया है जिसका निर्माण गुरू रामदास ने अपने हाथों से कराया था।
स्वर्ण मंदिर अमृतसर का सबसे बडा आकर्षण हो। इसका पूरा नाम हरमंदिर साहब हो लेकिन यह स्वर्ण मंदिरको नाम से प्रसिद्ध छ। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिरको चारै तर्फ बसेको छ। स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों पर्यटक आउद छन। अमृतसर का नाम वास्वत में उस तालाबको नाममा राखिएको जिसका निर्माण गुरू रामदास ने अपने हाथों से कराया था।


सिक्ख भगवान में विश्वास नहीं करते। उनके लिए गुरू ही सब कुछ हैं। स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने से पहले वह मंदिर के सामने सर झुकाते हैं,फिर पैर धोने के बाद सीढियों से मुख्य मंदिर तक जाते हैं। सीढियों के साथ-साथ स्वर्णमंदिर से जुडी हुई सारी घटनाएं और इसका पूरा इतिहास लिखा हुआ है। स्वर्ण मंदिर बहुत ही खूबसूरत है। इसमें रोशनी की सुन्दर व्यवस्था की गई है। सिक्खों के लिए स्वर्ण मंदिर बहुत ही महत्वपुर्ण है। सिक्खों के अलावा भी बहुत से श्रद्धालु यहां आते हैं। उनकी स्वर्ण मंदिर और सिक्ख धर्म में अटुट आस्था है।
सिक्ख भगवान में विश्वास नहीं करते। त्यसको लागी गुरू नै सबै कुरा हो। स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने से पहले वह मंदिरको सामने सर झुकाउद छन, फेरी खुट्टा धुए पछि सीढियों से मुख्य मंदिर सम्म जान्छन। सीढियों को साथ-साथ स्वर्णमंदिर से जुडी हुई सारी घटनाएं और इसका पूरा इतिहास लेखिएको छ। स्वर्ण मंदिर बहुत ही आकर्षक छ। इसमें रोशनी की सुन्दर व्यवस्था गरिएको छ। सिक्खों को लागी स्वर्ण मंदिर बहुत ही महत्वपुर्ण छ। सिक्खों को अलावा भी बहुत से श्रद्धालु यहां आउद छन। उनकी स्वर्ण मंदिर और सिक्ख धर्म में अटुट आस्था छ।


हरमंदिर साहब परिसर में दो बडे़ और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं। ये सारे तीर्थस्थल जलाशय के चारों तरफ फैले हुए हैं। इस जलाशय को अमृतसर और अमृत झील के नाम से जाना जाता है। पूरा स्वर्ण मंदिर सफेद पत्थरों से बना हुआ है और इसकी दिवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है। हरमंदिर साहब में पूरे दिन गुरु बानी की स्वर लहरियां गुंजती रहती हैं। मंदिर परिसर में पत्थर का स्मारक लगा हुआ है। यह पत्थर जांबाज सिक्ख सैनिकों को श्रद्धाजंलि देने के लिए लगा हुआ है।
हरमंदिर साहब परिसर में दो बडे़ और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हो। ये सारे तीर्थस्थल जलाशय को चारै तर्फ फैलिएको छ। इस जलाशय को अमृतसर और अमृत झील को नाम से जानिन्छ। पूरा स्वर्ण मंदिर सफेद पत्थरों से बनेको और इसकी दिवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी गरिएको छ। हरमंदिर साहब में पूरे दिन गुरु बानी की स्वर लहरियां गुञिरहन्छ। मंदिर परिसर में पत्थर का स्मारक टासिएको छ। यह पत्थर जांबाज सिक्ख सैनिकों को श्रद्धाजंलि दिनको लागी टासिएको हो।


=== जलियांवाला बाग ===
=== जलियांवाला बाग ===
{{main|जलियांवाला बाग}}
{{main|जलियांवाला बाग}}
13 अप्रैल 1919 को इस बाग में एक सभा का आयोजन किया गया था। यह सभा ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध थी। इस सभा को बीच में ही रोकने के लिए जनरल डायर ने बाग के एकमात्र रास्ते को अपने सैनिकों के साथ घेर लिया और भीड़ पर अंधाधुंध गोली बारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में बच्चों,बुढ़ों और महिलाओं समेत लगभग 300 लोगों की जान गई और 1000 से ज्यादा घायल हुए। यह घटना को इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक माना जाता है।
13 अप्रैल 1919 को इस बाग में एक सभा का आयोजन किया गया था। यह सभा ब्रिटिश सरकारको विरूद्ध थी। इस सभा को बीच में ही रोक्नको लागी जनरल डायर ने बाग को एकमात्र रास्ते को अपने सैनिकों को साथ घेर लिया और भीड़ पर अंधाधुंध गोली बारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में बच्चों,बुढ़ों और महिलाओं समेत लगभग 300 लोगों की जान गई और 1000 से ज्यादा घायल हुए। यह घटना को इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक मानिन्छ।


जलियां वाला बाग हत्याकांड इतना भयंकर था कि उस बाग में स्थित कुआं शवों से पूरा भर गया था। अब इसे एक सुन्दर पार्क में बदल दिया गया है और इसमें एक संग्राहलय का निर्माण भी कर दिया गया है। इसकी देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी जलियांवाला बाग ट्रस्ट की है। यहां पर सुन्दर पेड लगाए गए हैं और बाड़ बनाई गई है। इसमें दो स्मारक भी बनाए गए हैं। जिसमें एक स्मारक रोती हुई मूर्ति का है और दुसरा स्मारक अमर ज्योति है। बाग में घुमने का समय गर्मियों में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक और सर्दियों में सुबह 10 बजे से शाम 5 तक रखा गया है।
जलियां वाला बाग हत्याकांड इतना भयंकर था कि उस बाग में स्थित कुआं शवों से पूरा भर गया था। अब इसे एक सुन्दर पार्क में परिजर्तन गरिएको हो इसमें एक संग्राहलय का निर्माण पनि गरेको छ। इसकी देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी जलियांवाला बाग ट्रस्ट को हो। यहां सुन्दर रुखहरु लगाईएको बगैचा बनाईएको छ। इसमें दो स्मारक पनि बनाईएको छ। जिसमें एक स्मारक रुदै गरेको मूर्तिको दुसरा स्मारक अमर ज्योति छ। बाग में घुमने का समय गर्मियों में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक और सर्दियों में सुबह 10 बजे से शाम 5 सम्म राखिएको छ।




== अन्य दर्शनीय स्थल ==
== अन्य दर्शनीय स्थल ==
=== गुरुद्वारे ===
=== गुरुद्वारे ===
अमृतसर की दक्षिण दिशा में संतोखसर साहब और बिबेसर साहब गुरूद्वार है। इनमें से संतोखसर गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर से भी बडा है। महाराजा रणजीत सिंह ने रामबाग पार्क में एक समर पैलेस बनवाया था। इसकी अच्छी देखरेख की गई जिससे यह आज भी सही स्थिति में हैं। इस महल की बाहरी दीवारों पर लाल पत्थर लगे हुए हैं। इस महल को अब महाराजा रणजीत सिंह संग्राहलय में बदल दिया गया है। इस संग्राहलय में अनेक चित्रों और फर्नीचर को प्रदर्शित किया गया है। यह एक पार्क के बीच में बना हुआ है। इस पार्क को बहुत सुन्दर बनाया गया है। इस पार्क को लाहौर के शालीमार बाग जैसा बनाया गया है। संग्राहलय में घूमने का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक रखा गया है। यह सोमवार को बंद रहता है।
अमृतसर की दक्षिण दिशा में संतोखसर साहब और बिबेसर साहब गुरूद्वार छ। इनमें से संतोखसर गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर भन्दा ठुलो छ। महाराजा रणजीत सिंह ने रामबाग पार्क में एक समर पैलेस बनवाया था। इसकी अच्छी देखरेख की गई जिससे यह आज भी सही स्थितिमा छ। इस महल की बाहरी दीवारों पर लाल पत्थर लगाएको छ। इस महल को अब महाराजा रणजीत सिंह संग्राहलयमा परिवर्तन गरिएको छ। इस संग्राहलय में अनेक चित्रों और फर्नीचर को प्रदर्शित गरिएको छ। यह एक पार्क को बीचमा बनेको छ। इस पार्क को बहुत सुन्दर बनाईएको छ। इस पार्क को लाहौर को शालीमार बाग जस्तो बनाईएको छ। संग्राहलय में घूमने का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे सम्म राखिएको छ। यह सोमवार को बंद रहन्छ।


=== हाथी गेट मंदिर ===
=== हाथी गेट मंदिर ===
प्राचीन हिन्दू मंदिर हाथी गेट क्षेत्र में स्थित हैं। यहां पर दुर्गीयाना मंदिर है। इस मंदिर को हरमंदिर की तरह बनाया गया है। इस मंदिर के जलाशय के मध्य में सोने की परत चढा गर्भ गृह बना हुआ है। दुर्गीयाना मंदिर के बिल्कुल पीछे हनुमान मंदिर है। दंत कथाओं के अनुसार यही वह स्थान है जहां हनुमान अश्वमेध यज्ञ के घोडे को लव-कुश से वापस लेने आए थे और उन दोनों ने हनुमान को परास्त कर दिया था।
प्राचीन हिन्दू मंदिर हाथी गेट क्षेत्र में स्थित छ। यहां पर दुर्गीयाना मंदिर छ। इस मंदिरलाई हरमंदिरको तरह बनाईएको छ। इस मंदिरको जलाशयको मध्य में सोने की परत चढा गर्भ गृह बनेको छ। दुर्गीयाना मंदिरको बिल्कुल पीछे हनुमान मंदिर छ। दंत कथाओं को अनुसार यही वह स्थान जहां हनुमान अश्वमेध यज्ञ को घोडे को लव-कुश से वापस लेने आए थे और उन दोनों ने हनुमान को परास्त कर दिया था।


=== खरउद्दीन मस्जिद ===
=== खरउद्दीन मस्जिद ===
यह मस्जिद गांधी गेट के नजदीक हॉल बाजार में स्थित है। नमाज के समय यहां बहुत भीड़ होती है। इस समय इसका पूरा प्रागंण नमाजियों से भरा होता है। उचित देखभाल के कारण भारी भीड के बावजूद इसकी सुन्दरता में कोई कमी नहीं आई है। यह मस्जिद इस्लामी भवन निर्माण कला की जीती जागती तस्वीर पेश करती है मुख्य रूप से इसकी दीवारों पर लिखी आयतें। यह बात ध्यान देने योग्य है कि जलियांवाला बाग सभा के मुख्य वक्ता डॉ सैफउद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल इसी मस्जिद से ही सभा को संबोधित कर रहे थे।
यह मस्जिद गांधी गेटको नजदीक हॉल बाजार में स्थित छ। नमाजको समय यहां बहुत भीड़ हुदछ। इस समय इसका पूरा प्रागंण नमाजियों बाट भरिएको छ। उचित रेखदेखको कारण भारी भीडको बावजूद इसकी सुन्दरता में कोई कमी आएको छ। यह मस्जिद इस्लामी भवन निर्माण कला की जीती जागती तस्वीर पेश गर्दछ मुख्य रूप से इसकी दीवारों पर लिखी आयतें। यह बात ध्यान देने योग्य कि जलियांवाला बाग सभाको मुख्य वक्ता डॉ सैफउद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल इसी मस्जिद से ही सभा को संबोधित कर रहे थे।


;दुर्गियाना मंदिर
;दुर्गियाना मंदिर
यह हिन्दुओं का धार्मिक स्थल है, जिसके गुम्बद पर सोने तथा चाँदी का आवरण है।
यह हिन्दुओं का धार्मिक स्थल , जसको गुम्बद पर सोने तथा चाँदी का आवरण छ।


;जलियाँवाला बाग
;जलियाँवाला बाग
वर्ष 1919 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने इसी स्थान पर करीब 2000 भारतीयों का नरसंहार किया था। आज यहाँ उस दुःखद घटना की याद दिलाता स्मारक खड़ा है।
वर्ष 1919 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने इसी स्थान पर करीब 2000 भारतीयों का नरसंहार किया था। आज यहाँ उस दुःखद घटना की याद दिलाता स्मारक खड़ा छ।


;बाबा अटल राय स्तंभ
;बाबा अटल राय स्तंभ
यह गुरु हरगोविंदसिंह के नौ वर्षीय पुत्र का शहादत स्थल है।
यह गुरु हरगोविंदसिंहको नौ वर्षीय पुत्र का शहादत स्थल छ।


;तरन तारन
;तरन तारन
अमृतसर से करीब 22 किलोमीटर दूर इस स्थान पर एक तालाब है। ऐसी मान्यता है कि इसके पानी में बीमारियों को दूर करने की ताकत है।
अमृतसर से करीब 22 किलोमीटर दूर इस स्थान पर एक ताल छ। ऐसी मान्यता कि यसको पानी में बीमारियों को दूर करने की ताकत छ।


;राम तीर्थ
;राम तीर्थ
यह भगवान राम के पुत्रों लव तथा कुश का जन्म स्थल माना जाता है।
यह भगवान रामको पुत्रों लव तथा कुश का जन्म स्थल मानिन्छ।


== आसपास के दर्शनीय स्‍थल ==
== आसपासको दर्शनीय स्‍थल ==


=== बाघा बोर्डर ===
=== बाघा बोर्डर ===
बाघा बोर्डर पर हर शाम भारत की सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान रेंजर्स की सैनिक टुकडियां इकट्ठी होती है। विशेष मौकों पर मुख्य रूप से 14 अगस्त के दिन जब पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस समाप्त होता है और भारत के स्वतंत्रता दिवस की सुबह होती है उस शाम वहां पर शांति के लिए रात्रि जागरण किया जाता है। उस रात वहां लोगों को एक-दुसरे से मिलने की अनुमति भी दी जाती है। इसके अलावा वहां पर पूरे साल कंटिली तारें, सुरक्षाकर्मी और मुख्य द्वार के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता।
बाघा बोर्डर पर हर शाम भारत की सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान रेंजर्स की सैनिक टुकडियां भेला हुन्छन। विशेष मौकों पर मुख्य रूप से 14 अगस्त को दिन जब पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस समाप्त हुदछ भारतको स्वतंत्रता दिवस की बिहान हुदछ उस शाम वहां पर शांति को लागी रात्रि जागरण गरिन्छ। उस रात वहां लोगों को एक-दुसरे से मिलने की अनुमति पनि दिईन्छ। यसको अलावा वहां पर पूरे साल कंटिली तारें, सुरक्षाकर्मी और मुख्य द्वार को अलावा कुछ दिखाई नहीं देता।




== खानपान: ==
== खानपान: ==
अमृतसर के व्यंजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। यहां का बना चिकन, मक्के की रोटी, सरसों का साग और लस्सी बहुत प्रसिद्ध है। अमृतसर पंजाब में स्थित है। खाने-पीने के शौकीन लोगों के लिए पंजाब स्वर्ग माना जाता है।
अमृतसरको व्यंजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध छ। यहां का बना चिकन, मक्के की रोटी, सरसों का साग और लस्सी बहुत प्रसिद्ध छ। अमृतसर पंजाब में अस्थित छ। खाने-पीने को शौकीन लोगों को लागी पंजाब स्वर्ग मानिन्छ।


दरबार साहिब के दर्शन करने के बाद अधिकतर श्रद्धालु भीजे भठुर, रसीली जलेबी और अन्य व्यंजनों का आनंद लेने के लिए भरावन के ढाबे पर जाते हैं। यहां की स्पेशल थाली भी बहुत प्रसिद्ध है। इसके अलावा लारेंस रोड की टिक्की, आलू-पूरी और आलू परांठे बहुत प्रसिद्ध हैं। अमृतसर के अमृतसरी कुल्चे बहुत प्रसिद्ध है। अमृतसरी कुल्चों के लिए सबसे बेहतर जगह मकबूल रोड के ढा़बे हैं। यहां केवल दो बजे तक की कुल्चे मिलते हैं। पपडी़ चाट और टिक्की के लिए बृजवासी की दूकान प्रसिद्ध है। यह दूकान कूपर रोड पर स्थित है। लारेंस रोड पर बी.बी.डी.ए.वी. गर्ल्‍स कॉलेज के पास शहर के सबसे अच्छे आम पापड़ मिलते हैं। शाकाहारी खाने के साथ-साथ अमृतसर अपने मांसाहारी व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है। मासंहारी व्यंजनों में अमृतसरी मछी बहुत प्रसिद्ध है। इस व्यंजन को चालीस साल पहले चिमन लाल ने तैयार किया था। अब यह व्यंजन अमृतसर के मांसाहारी व्यंजनों की पहचान है। लारेंस रोड पर सूरजीत चिकन हाऊस अपने भूने हुए चिकन के लिए और कटरा शेर सिंह अपनी अमृतसरी मछी के लिए पूरे अमृतसर में प्रसिद्ध है।
दरबार साहिबको दर्शन गरे पछि अधिकतर श्रद्धालु भीजे भठुर, रसीली जलेबी और अन्य व्यंजनों का आनंद लिनको लागी भरावनको ढाबे मा जान्छन। यहां की स्पेशल थाली भी बहुत प्रसिद्ध छ। यसको अलावा लारेंस रोड की टिक्की, आलू-पूरी और आलू परांठे बहुत प्रसिद्ध छ। अमृतसरको अमृतसरी कुल्चे बहुत प्रसिद्ध छ। अमृतसरी कुल्चों को लागी सबसे बेहतर जगह मकबूल रोड को ढा़बे हो। यहां केवल दो बजे तक की कुल्चे पाईन्छ। पपडी़ चाट और टिक्की को लागी बृजवासी की दूकान प्रसिद्ध छ। यह दूकान कूपर रोडमा अस्थित छ। लारेंस रोड पर बी.बी.डी.ए.वी. गर्ल्‍स कॉलेज को छेउ शहरको सबसे अच्छे आम पापड़ पाईन्छ। शाकाहारी खाने को साथ-साथ अमृतसर अपने मांसाहारी व्यंजनों को लागी पनि प्रसिद्ध छ। मासंहारी व्यंजनों में अमृतसरी मछी बहुत प्रसिद्ध छ। इस व्यंजन को चालीस साल पहले चिमन लाल ने तैयार किया था। अब यह व्यंजन अमृतसरको मांसाहारी व्यंजनों की परिचय छ। लारेंस रोड पर सूरजीत चिकन हाऊस अपने भूने हुए चिकन को लागी और कटरा शेर सिंह अपनी अमृतसरी मछी को लागी पूरे अमृतसर में प्रसिद्ध छ।


== बाजार-हाट ==
== बाजार-हाट ==
अमृतसर का बाजार काफी अच्छा है। यहां हर तरह के देशी और विदेशी कपडे़ मिलते हैं। यह बाजार काफी कुछ लाजपत नगर जैसा है। अमृतसर के पुराने शहर के हॉल बाजार के आस-पास के क्षेत्र मुख्यत: कोतवाली क्षेत्र के पास परंपरागत बाजार हैं। इन बाजारों के अलावा यहां पर अनेक कटरे भी हैं। यहां पर आभूषणों से लेकर रसोई तक का सभी सामान मिलता है। यह अपने अचारों और पापडों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। पंजाबी पहनावा भी पूरे विश्व में बहुत प्रसिद्ध है। खासकर लड़कियों में पंजाबी सूट के प्रति बहुत चाव रहता है। सूटों के अलावा यहां पर पगडी़, सलवार-कमीज, रूमाल और पंजाबी जूतियों की बहुत मांग हैं।
अमृतसर का बाजार धेरै राम्रो छ। यहां हरेक प्रकारको देशी और विदेशी कपडे़ पाईन्छ। यह बाजार काफी कुछ लाजपत नगर जस्तो छ। अमृतसरको पुराने शहरको हॉल बाजारको छेउ-छाउको क्षेत्र मुख्यत: कोतवाली क्षेत्रको छेउमा परंपरागत बाजार छ। इन बाजारों को अलावा यहां पर अनेक कटरे पनि छ। यहां पर आभूषणों से लेकर रसोई तक का सभी सामान पाईन्छ। यह अपने अचारों और पापडों को लागी धेरै प्रसिद्ध छ। पंजाबी पहनावा भी पूरे विश्व में धेरै प्रसिद्ध छ। खासकर लड़कियों में पंजाबी सूटको प्रति बहुत चाव रहन्छ। सूटों को अलावा यहां पर पगडी़, सलवार-कमीज, रूमाल और पंजाबी जूतियों की बहुत मांग छ।


दरबार साहब के बाहर जो बाजार लगता है। वहां पर स्टील के उच्च गुणवत्ता वाले बर्तन और कृपाण मिलते हैं। कृपाण को सिक्खों में बहुत पवित्र माना जाता है। तलवारों की कीमत 125 रू से शुरू होती है। इन सब के अलावा यहां पर सिक्ख धर्म से जुडी किताबें और साहित्य भी प्रचुर मात्रा में मिलता है।
दरबार साहब को बाहर जो बाजार लाग्दछ। वहां पर स्टीलको उच्च गुणवत्ता वाले बर्तन और कृपाण पाईन्छ। कृपाण को सिक्खों में बहुत पवित्र मानिन्छ। तलवारों की कीमत 125 रू से शुरू हुदछ। यि सबैको अलावा यहां पर सिक्ख धर्म से जुडी किताबें और साहित्य भी प्रचुर मात्रामा पाईन्छ।


== स्थिति ==
== स्थिति ==


यात्रा में लगने वाला समय: रेलमार्ग और सडक मार्ग से 9 घंटे, वायुमार्ग से 1 घंटा।
यात्रा में लगने वाला समय: रेलमार्ग और सडक मार्ग से 9 घंटे, वायुमार्ग से 1 घंटा।
यह भारत के बिल्कुल पश्चिम छोर पर स्थित है। यहां से [[पाकिस्तान]] केवल 25 किमी. की दूरी पर स्थित है। [[राष्ट्रीय राजमार्ग]] 1 द्वारा [[करनाल]], [[अम्बाला]], खन्ना,[[जलंधर]] और [[लुधियाना]] होते हुए अमृतसर पहुंचा जा सकता है।
यह भारत को बिल्कुल पश्चिम छोर पर स्थित छ। यहां से [[पाकिस्तान]] केवल 25 किमी. की दूरी पर स्थित छ। [[राष्ट्रीय राजमार्ग]] 1 द्वारा [[करनाल]], [[अम्बाला]], खन्ना,[[जलंधर]] और [[लुधियाना]] होते हुए अमृतसर पुग्न सकिन्छ।
दूरी: यह दिल्ली से उत्तर पूर्व में 447 किमी. की दूरी पर स्थित है।
दूरी: यह दिल्ली से उत्तर पूर्व में 447 किमी. की दूरीमा अस्थित छ।


अमृतसर जाने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है
अमृतसर जानको लागी सबभन्दा राम्रो समय अक्टूबर से मार्च हो


== आवागमन ==
== आवागमन ==
;वायु मार्ग:
;वायु मार्ग:
अमृतसर का राजा सांसी हवाई अड्डा दिल्ली से अच्छी तरह जुडा हुआ है।
अमृतसर का राजा सांसी हवाई अड्डा दिल्ली से राम्रो संग जोडिएको छ।
;रेल मार्ग:
;रेल मार्ग:
दिल्ली से टाटानगर-जम्मूतवी एक्सप्रैस और गोल्डन टेम्पल मेल द्वारा आसानी से अमृतसर रेलवे स्टेशन पहुंचा जा सकता है।
दिल्ली से टाटानगर-जम्मूतवी एक्सप्रैस और गोल्डन टेम्पल मेल द्वारा आसानी से अमृतसर रेलवे स्टेशन पुग्न सकिन्छ।
;सडक मार्ग:
;सडक मार्ग:
अपनी कार से भी ग्रैंड ट्रंक रोड द्वारा आसानी से अमृतसर पहुंचा जा सकता है। बीच में विश्राम करने के लिए रास्ते में सागर रत्ना, लक्की ढाबा और हवेली अच्छे रस्तरां है। यहां पर रूककर कुछ देर आराम किया जा सकता है और खाने का आनंद भी लिया जा सकता है। इसके अलावा दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से भी अमृतसर के लिए बसें जाती हैं।
अपनी कार से भी ग्रैंड ट्रंक रोड द्वारा आसानी से अमृतसर पुग्न सकिन्छ। बीच में विश्राम गर्नको लागी रास्ते में सागर रत्ना, लक्की ढाबा और हवेली अच्छे रेष्टुरा छ। यहां पर रूककर कुछ देर आराम गर्न सकिन्छ और खाने का आनंद भी लिन सकिन्छ। यसको अलावा दिल्लीके कश्मीरी गेट बस अड्डे से भी अमृतसरको लाग्द छ।


== पहुंच ==
== पहुंच ==
* हवाई अड्डे से शहर की दूरी करीब 11 किलोमीटर है, जिसे तय करने में 15 मिनट का समय लगता है।
* हवाई अड्डे से शहर की दूरी करीब 11 किलोमीटर , जिसे तय करने में 15 मिनटको समय लाग्दछ।


* अक्टूबर से मार्च तक का समय इस शहर के भ्रमण के लिए उपयुक्त है।
* अक्टूबर से मार्च तक का समय इस शहरको भ्रमणको लागी उपयुक्त छ।
{{अमरतसर}}
{{अमरतसर}}
{{-}}
{{-}}
{{भारत के मिलियन+ नगर}}
{{भारतको मिलियन+ नगर}}


[[az:Amritsar]]
[[az:Amritsar]]

०९:०६, २६ अगस्ट २०१२ जस्तै गरी पुनरावलोकन

अमृतसर
अमृतसर
city
जनसङ्ख्या
 (2007)
 • जम्मा३,६९५,०७७

अमृतसर (पंजाबी:ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) भारत को पंजाब प्रान्त का एक शहर हो। अमृतसर पंजाब का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र शहर मानिन्छ। पवित्र इसलिए माना जाता क्योंकि सिक्खों का सबसे बडा गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर अमृतसरमा नै छ। ताजमहल पछि सबसे ज्यादा पर्यटक अमृतसरको स्वर्ण मंदिरलाई नै हेर्न आउदछन। स्वर्ण मंदिर अमृतसर का दिल मानिन्छ। यह गुरू रामदास का डेरा हुआ करता था। अमृतसरको इतिहास गौरवमयी छ। यह अपनी संस्कृति और लड़ाइयों को लागि बहुत प्रसिद्ध रहेको छ। अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाहरु साक्षी रहेको छ। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बडा नरसंहार अमृतसरको जलियांवाला बाग में ही हुआ था। यस पछि भारत पाकिस्तानको बीच जो बंटवारा हुआ उस समय भी अमृतसर में बडा हत्याकांड हुआ। यहीं नहीं अफगान और मुगल शासकों ने यस माथि अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया। यसको बावजूद सिक्खों ने अपने दृढ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया। हालांकि अमृतसर में समयको साथ काफी बदलाव आएको छ लेकिन आज भी अमृसतर की गरिमा कायम छ।

इतिहास

अमृतसर लगभग साढे चार सौ वर्ष से अस्तित्वमा छ। सबसे पहले गुरू रामदास ने 1577 में 500 बीघा में गुरूद्वारे की नींव रखी थी। यह गुरूद्वारा एक सरोवरको बीच में बनेको छ। यहां का बना तंदूर बडा लजीज हुदछ। यहां पर सुन्दर कृपाण,आम पापड,आम का आचार और सिक्खों की दस गुरूओं की खूबसूरत तस्वीर पाईन्छ।

अमृतसर में पहले जैसा आकर्षण नहीं रहा। अमृतसरको साथ त्यसको गौरवमयी इतिहासको अलावा केहि पनि छैन। अमृतसर में स्वर्ण मंदिरको अलावा देखने लायक केहि छ त्यो हो अमृतसरको पुराना शहर। यसको चारों तरफ दीवार बनेको छ। इसमें बारह प्रवेश द्वार छ। यह बारह द्वार अमृतसर की कहानी बयान गर्दछ। अमृतसर दर्शन को लागी सबसे अच्छा साधन साईकिल रिक्शा र ऑटो हो। इसी प्रचालन को आगे बढ़ने और विरासत को सँभालने उद्देश से पंजाब पर्यटन विभाग ने फाजिल्का की एक गैर सरकारी संस्था ग्रेजुएट वेलफेयर एसोसिएशन फाजिल्का से मिलकर, फाजिल्का से शुरू हुए इकोफ्रेंडली रिक्शा ने नए रूप, "ईको- कैब" को अमृतसर में भी शुरू गरेको छ | अब अमृतसर में रिक्शा की सवारी करते समय न केवल पर्यटकों की जानकारीको लागी ईको- कैब में शहर का पर्यटन नक्सा छ, बल्कि पिउनको लागी पानी की बोतल, पढने को लागी अख़बार और सुन्नको लागी एफ्फ़ एम्म रेडियो जैसे सुविधाए पनि छ |

मुख्य आकर्षण

अमृतसर का स्वर्ण मंदिर

स्वर्ण मंदिर अमृतसर का सबसे बडा आकर्षण हो। इसका पूरा नाम हरमंदिर साहब हो लेकिन यह स्वर्ण मंदिरको नाम से प्रसिद्ध छ। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिरको चारै तर्फ बसेको छ। स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों पर्यटक आउद छन। अमृतसर का नाम वास्वत में उस तालाबको नाममा राखिएको छ जिसका निर्माण गुरू रामदास ने अपने हाथों से कराया था।

सिक्ख भगवान में विश्वास नहीं करते। त्यसको लागी गुरू नै सबै कुरा हो। स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने से पहले वह मंदिरको सामने सर झुकाउद छन, फेरी खुट्टा धुए पछि सीढियों से मुख्य मंदिर सम्म जान्छन। सीढियों को साथ-साथ स्वर्णमंदिर से जुडी हुई सारी घटनाएं और इसका पूरा इतिहास लेखिएको छ। स्वर्ण मंदिर बहुत ही आकर्षक छ। इसमें रोशनी की सुन्दर व्यवस्था गरिएको छ। सिक्खों को लागी स्वर्ण मंदिर बहुत ही महत्वपुर्ण छ। सिक्खों को अलावा भी बहुत से श्रद्धालु यहां आउद छन। उनकी स्वर्ण मंदिर और सिक्ख धर्म में अटुट आस्था छ।

हरमंदिर साहब परिसर में दो बडे़ और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हो। ये सारे तीर्थस्थल जलाशय को चारै तर्फ फैलिएको छ। इस जलाशय को अमृतसर और अमृत झील को नाम से जानिन्छ। पूरा स्वर्ण मंदिर सफेद पत्थरों से बनेको छ और इसकी दिवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी गरिएको छ। हरमंदिर साहब में पूरे दिन गुरु बानी की स्वर लहरियां गुञिरहन्छ। मंदिर परिसर में पत्थर का स्मारक टासिएको छ। यह पत्थर जांबाज सिक्ख सैनिकों को श्रद्धाजंलि दिनको लागी टासिएको हो।

जलियांवाला बाग

13 अप्रैल 1919 को इस बाग में एक सभा का आयोजन किया गया था। यह सभा ब्रिटिश सरकारको विरूद्ध थी। इस सभा को बीच में ही रोक्नको लागी जनरल डायर ने बाग को एकमात्र रास्ते को अपने सैनिकों को साथ घेर लिया और भीड़ पर अंधाधुंध गोली बारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में बच्चों,बुढ़ों और महिलाओं समेत लगभग 300 लोगों की जान गई और 1000 से ज्यादा घायल हुए। यह घटना को इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक मानिन्छ।

जलियां वाला बाग हत्याकांड इतना भयंकर था कि उस बाग में स्थित कुआं शवों से पूरा भर गया था। अब इसे एक सुन्दर पार्क में परिजर्तन गरिएको हो र इसमें एक संग्राहलय का निर्माण पनि गरेको छ। इसकी देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी जलियांवाला बाग ट्रस्ट को हो। यहां सुन्दर रुखहरु लगाईएको छ र बगैचा बनाईएको छ। इसमें दो स्मारक पनि बनाईएको छ। जिसमें एक स्मारक रुदै गरेको मूर्तिको छ र दुसरा स्मारक अमर ज्योति छ। बाग में घुमने का समय गर्मियों में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक और सर्दियों में सुबह 10 बजे से शाम 5 सम्म राखिएको छ।


अन्य दर्शनीय स्थल

गुरुद्वारे

अमृतसर की दक्षिण दिशा में संतोखसर साहब और बिबेसर साहब गुरूद्वार छ। इनमें से संतोखसर गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर भन्दा ठुलो छ। महाराजा रणजीत सिंह ने रामबाग पार्क में एक समर पैलेस बनवाया था। इसकी अच्छी देखरेख की गई जिससे यह आज भी सही स्थितिमा छ। इस महल की बाहरी दीवारों पर लाल पत्थर लगाएको छ। इस महल को अब महाराजा रणजीत सिंह संग्राहलयमा परिवर्तन गरिएको छ। इस संग्राहलय में अनेक चित्रों और फर्नीचर को प्रदर्शित गरिएको छ। यह एक पार्क को बीचमा बनेको छ। इस पार्क को बहुत सुन्दर बनाईएको छ। इस पार्क को लाहौर को शालीमार बाग जस्तो बनाईएको छ। संग्राहलय में घूमने का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे सम्म राखिएको छ। यह सोमवार को बंद रहन्छ।

हाथी गेट मंदिर

प्राचीन हिन्दू मंदिर हाथी गेट क्षेत्र में स्थित छ। यहां पर दुर्गीयाना मंदिर छ। इस मंदिरलाई हरमंदिरको तरह बनाईएको छ। इस मंदिरको जलाशयको मध्य में सोने की परत चढा गर्भ गृह बनेको छ। दुर्गीयाना मंदिरको बिल्कुल पीछे हनुमान मंदिर छ। दंत कथाओं को अनुसार यही वह स्थान छ जहां हनुमान अश्वमेध यज्ञ को घोडे को लव-कुश से वापस लेने आए थे और उन दोनों ने हनुमान को परास्त कर दिया था।

खरउद्दीन मस्जिद

यह मस्जिद गांधी गेटको नजदीक हॉल बाजार में स्थित छ। नमाजको समय यहां बहुत भीड़ हुदछ। इस समय इसका पूरा प्रागंण नमाजियों बाट भरिएको छ। उचित रेखदेखको कारण भारी भीडको बावजूद इसकी सुन्दरता में कोई कमी आएको छ। यह मस्जिद इस्लामी भवन निर्माण कला की जीती जागती तस्वीर पेश गर्दछ मुख्य रूप से इसकी दीवारों पर लिखी आयतें। यह बात ध्यान देने योग्य छ कि जलियांवाला बाग सभाको मुख्य वक्ता डॉ सैफउद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल इसी मस्जिद से ही सभा को संबोधित कर रहे थे।

दुर्गियाना मंदिर

यह हिन्दुओं का धार्मिक स्थल छ, जसको गुम्बद पर सोने तथा चाँदी का आवरण छ।

जलियाँवाला बाग

वर्ष 1919 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने इसी स्थान पर करीब 2000 भारतीयों का नरसंहार किया था। आज यहाँ उस दुःखद घटना की याद दिलाता स्मारक खड़ा छ।

बाबा अटल राय स्तंभ

यह गुरु हरगोविंदसिंहको नौ वर्षीय पुत्र का शहादत स्थल छ।

तरन तारन

अमृतसर से करीब 22 किलोमीटर दूर इस स्थान पर एक ताल छ। ऐसी मान्यता छ कि यसको पानी में बीमारियों को दूर करने की ताकत छ।

राम तीर्थ

यह भगवान रामको पुत्रों लव तथा कुश का जन्म स्थल मानिन्छ।

आसपासको दर्शनीय स्‍थल

बाघा बोर्डर

बाघा बोर्डर पर हर शाम भारत की सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान रेंजर्स की सैनिक टुकडियां भेला हुन्छन। विशेष मौकों पर मुख्य रूप से 14 अगस्त को दिन जब पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस समाप्त हुदछ र भारतको स्वतंत्रता दिवस की बिहान हुदछ उस शाम वहां पर शांति को लागी रात्रि जागरण गरिन्छ। उस रात वहां लोगों को एक-दुसरे से मिलने की अनुमति पनि दिईन्छ। यसको अलावा वहां पर पूरे साल कंटिली तारें, सुरक्षाकर्मी और मुख्य द्वार को अलावा कुछ दिखाई नहीं देता।


खानपान:

अमृतसरको व्यंजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध छ। यहां का बना चिकन, मक्के की रोटी, सरसों का साग और लस्सी बहुत प्रसिद्ध छ। अमृतसर पंजाब में अस्थित छ। खाने-पीने को शौकीन लोगों को लागी पंजाब स्वर्ग मानिन्छ।

दरबार साहिबको दर्शन गरे पछि अधिकतर श्रद्धालु भीजे भठुर, रसीली जलेबी और अन्य व्यंजनों का आनंद लिनको लागी भरावनको ढाबे मा जान्छन। यहां की स्पेशल थाली भी बहुत प्रसिद्ध छ। यसको अलावा लारेंस रोड की टिक्की, आलू-पूरी और आलू परांठे बहुत प्रसिद्ध छ। अमृतसरको अमृतसरी कुल्चे बहुत प्रसिद्ध छ। अमृतसरी कुल्चों को लागी सबसे बेहतर जगह मकबूल रोड को ढा़बे हो। यहां केवल दो बजे तक की कुल्चे पाईन्छ। पपडी़ चाट और टिक्की को लागी बृजवासी की दूकान प्रसिद्ध छ। यह दूकान कूपर रोडमा अस्थित छ। लारेंस रोड पर बी.बी.डी.ए.वी. गर्ल्‍स कॉलेज को छेउ शहरको सबसे अच्छे आम पापड़ पाईन्छ। शाकाहारी खाने को साथ-साथ अमृतसर अपने मांसाहारी व्यंजनों को लागी पनि प्रसिद्ध छ। मासंहारी व्यंजनों में अमृतसरी मछी बहुत प्रसिद्ध छ। इस व्यंजन को चालीस साल पहले चिमन लाल ने तैयार किया था। अब यह व्यंजन अमृतसरको मांसाहारी व्यंजनों की परिचय छ। लारेंस रोड पर सूरजीत चिकन हाऊस अपने भूने हुए चिकन को लागी और कटरा शेर सिंह अपनी अमृतसरी मछी को लागी पूरे अमृतसर में प्रसिद्ध छ।

बाजार-हाट

अमृतसर का बाजार धेरै राम्रो छ। यहां हरेक प्रकारको देशी और विदेशी कपडे़ पाईन्छ। यह बाजार काफी कुछ लाजपत नगर जस्तो छ। अमृतसरको पुराने शहरको हॉल बाजारको छेउ-छाउको क्षेत्र मुख्यत: कोतवाली क्षेत्रको छेउमा परंपरागत बाजार छ। इन बाजारों को अलावा यहां पर अनेक कटरे पनि छ। यहां पर आभूषणों से लेकर रसोई तक का सभी सामान पाईन्छ। यह अपने अचारों और पापडों को लागी धेरै प्रसिद्ध छ। पंजाबी पहनावा भी पूरे विश्व में धेरै प्रसिद्ध छ। खासकर लड़कियों में पंजाबी सूटको प्रति बहुत चाव रहन्छ। सूटों को अलावा यहां पर पगडी़, सलवार-कमीज, रूमाल और पंजाबी जूतियों की बहुत मांग छ।

दरबार साहब को बाहर जो बाजार लाग्दछ। वहां पर स्टीलको उच्च गुणवत्ता वाले बर्तन और कृपाण पाईन्छ। कृपाण को सिक्खों में बहुत पवित्र मानिन्छ। तलवारों की कीमत 125 रू से शुरू हुदछ। यि सबैको अलावा यहां पर सिक्ख धर्म से जुडी किताबें और साहित्य भी प्रचुर मात्रामा पाईन्छ।

स्थिति

यात्रा में लगने वाला समय: रेलमार्ग और सडक मार्ग से 9 घंटे, वायुमार्ग से 1 घंटा। यह भारत को बिल्कुल पश्चिम छोर पर स्थित छ। यहां से पाकिस्तान केवल 25 किमी. की दूरी पर स्थित छ। राष्ट्रीय राजमार्ग 1 द्वारा करनाल, अम्बाला, खन्ना,जलंधर और लुधियाना होते हुए अमृतसर पुग्न सकिन्छ। दूरी: यह दिल्ली से उत्तर पूर्व में 447 किमी. की दूरीमा अस्थित छ।

अमृतसर जानको लागी सबभन्दा राम्रो समय अक्टूबर से मार्च हो

आवागमन

वायु मार्ग

अमृतसर का राजा सांसी हवाई अड्डा दिल्ली से राम्रो संग जोडिएको छ।

रेल मार्ग

दिल्ली से टाटानगर-जम्मूतवी एक्सप्रैस और गोल्डन टेम्पल मेल द्वारा आसानी से अमृतसर रेलवे स्टेशन पुग्न सकिन्छ।

सडक मार्ग

अपनी कार से भी ग्रैंड ट्रंक रोड द्वारा आसानी से अमृतसर पुग्न सकिन्छ। बीच में विश्राम गर्नको लागी रास्ते में सागर रत्ना, लक्की ढाबा और हवेली अच्छे रेष्टुरा छ। यहां पर रूककर कुछ देर आराम गर्न सकिन्छ और खाने का आनंद भी लिन सकिन्छ। यसको अलावा दिल्लीके कश्मीरी गेट बस अड्डे से भी अमृतसरको लाग्द छ।

पहुंच

  • हवाई अड्डे से शहर की दूरी करीब 11 किलोमीटर छ, जिसे तय करने में 15 मिनटको समय लाग्दछ।
  • अक्टूबर से मार्च तक का समय इस शहरको भ्रमणको लागी उपयुक्त छ।

ढाँचा:अमरतसर

ढाँचा:भारतको मिलियन+ नगर