"ब्राह्मी लिपि" का संशोधनहरू बिचको अन्तर

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कान्हेरी गुफाको एउटा शिलामा ब्राह्मी लेख

ब्राह्मी लिपि विश्वको प्राचीनतम् लिपिमध्ये एउटा हो। यो लिपिको उत्पत्ति भारतमा भएको भन्ने विषयमा दुईमत छैन। यद्यपि ब्राह्मी लिपिको उत्पत्ति यसैबेला भएको भन्नलाई आज पनि कुनै निश्चित आधार छैन। ब्राह्मण समुदायबाट यो लिपिको उत्पत्ति भएको भन्ने जनविश्वास छ। त्यसैले यो लिपिको नाउँ पनि ब्राह्मणबाट ब्राह्मी भएको भनाइ छ। भारतमा ब्राह्मणले धार्मिक ग्रन्थ 'वेद'को संरक्षणका लागि नै यस लिपिको सिर्जना गरेको भन्ने आमविश्वास छ। भारतमा ई.पू. ४०० वर्षअघि यस लिपिबाट लिखित कुनै ऐतिहासिक सामग्री भेटिएको छैन। जैनसूत्रमा उल्लेख भएका १८ लिपिमा सबैभन्दा अगि्रमपङ्क्तिको लिपि ब्राह्मी लिपि हो। बौद्धग्रन्थ 'ललित विस्तर'मा ६४ वटा लिपिको वर्णनमध्ये क्रमागतरूपले सबैभन्दा पहिलो लिपि ब्राह्मी लिपि हो। ब्राह्मी लिपिको उत्पत्ति राजा अशोक -ई.पू. २७३-२३२) भन्दा दुई शताब्दी अघि भएको विश्वास छ। राजा अशोकको शिलालेखमा यो लिपि धेरै प्रयोग भएको छ। यस लिपिको प्रचारप्रसारको मूल आधार यही शिलालेखहरूलाई लिइन्छ। यद्यपि भारतको गुप्त शासनकालमा आएर यो लिपिको आकृति र स्वरूपमा केही परिवर्तन भयो। त्यसरी परिवर्तित लिपिलाई गुप्त लिपि भन्न थालियो। फेरि समयको अन्तरालमा गुप्त लिपिको आकृतिमा पनि परिवर्तन हुन थाल्यो, त्यस्तो परिवर्तित लिपिलाई कुटिल लिपि वा कुटिलाक्षर भन्ने गरियो। यो कुटिल लिपि ईसाको छैठौँ शताब्दीतिर देखापरेको थियो।

नेपालमा प्रचलित देवनागरी लिपिको जननी ब्राह्मी लिपि हो। नेपालमा ई.पू. २०० वर्षअघिको लुम्बिनीको अशोक स्तम्भ र कपिलवस्तुको निग्लिहवामा रहेको पुष्पीकरणको अशोकस्तम्भ अभिलेखमा उल्लेखित लिपि ब्राह्मी लिपि हो। नेपालको लागि यो सबैभन्दा प्राचीन, ऐतिहासिक सामग्री र लिपि भएको छ। यसरी नेपालको यो स्तम्भ र लिपिको ऐतिहासिक महत्त्व छ।

ब्राह्मीबाट जन्मेका लिपिहरू

ब्राह्मीको समयको साथ परिवर्तन

ब्राह्मी लिपिबाट जन्मेका लिपिहरू र तिनको समानता स्पष्टतया थाह लाग्छ। यसमा धेरै लिपिहरू ईसाको समयको छेउ-छाउ विकसित भएका थिए। केही यस प्रकार छन्-

ब्राह्मीबाट व्युत्पन्न केही लिपिहरूको तुलनात्मक तालिका

केहि भारतीय लिपिहरूको तुलनात्मक चित्र यहाँ दिइन्छ :

व्यंजन

NLAC आइपीए देवनागरी बांग्ला गुरमुखी गुजराती उडिया तमिल तेलुगु कन्नड मलयालम सिंहल लिपि तिब्बती लिपि थाइ लिपि बर्मेली लिपि ख्मेर लिपि लाओ लिपि
k k က
kh  
g ɡ    
gh ɡʱ    
ŋ
c c
ch  
j ɟ
jh ɟʱ   ​ඣ​    
ñ ɲ ဉ/ည
ʈ  
ṭh ʈʰ    
ɖ    
ḍh ɖʱ      
ɳ  
t
th t̺ʰ  
d  
dh d̺ʰ      
n n
n                        
p p
ph  
b b  
bh    
m m
y j
r r র/ৰ
r                  
l l
ɭ   ਲ਼        
ɻ                    
v ʋ  
ś ɕ ਸ਼    
ʂ    
s s  
h h

स्वर

NLAC IPA देवनागरी पूर्वीय नागरी गुरमुखी गुजराती ओडिया तमिल तेलुगु कन्नड मलयालम सिंहल तिब्बती बर्मी
a ə                 က
ā ɑː का কা ਕਾ કા କା கா కా ಕಾ കാ කා     အာ ကာ
æ                                       කැ        
ǣ                                       කෑ        
i i कि কি ਕਿ કિ କି கி కి ಕಿ കി කි ཨི ཀི ကိ
ī की কী ਕੀ કી କୀ கீ కీ ಕೀ കീ කී     ကီ
u u कु কু ਕੁ કુ କୁ கு కు ಕು കു කු ཨུ ཀུ ကု
ū कू কূ ਕੂ કૂ କୂ கூ కూ ಕೂ കൂ කූ     ကူ
e e कॆ                 கெ కె ಕೆ കെ කෙ     ကေ
ē के কে ਕੇ કે କେ கே కే ಕೇ കേ කේ ཨེ ཀེ အေး ကေး
ai ai कै কৈ ਕੈ કૈ କୈ கை కై ಕೈ കൈ කෛ        
o o कॊ                 கொ కొ ಕೊ കൊ කො     ကော
ō को কো ਕੋ કો କୋ கோ కో ಕೋ കോ කෝ ཨོ ཀོ    
au au कौ কৌ ਕੌ કૌ କୌ கௌ కౌ ಕೌ കൗ කෞ     ကော်
कृ কৃ     કૃ କୃ     కృ ಕೃ കൃ කෘ ကၖ
r̩ː कॄ কৄ     કૄ               කෲ     ကၗ
कॢ কৢ               కౄ   ക്ഌ (ඏ)[१]       ကၘ
l̩ː कॣ কৣ                   ക്ൡ (ඐ)       ကၙ

अंक

संख्या देवनागरी पूर्वीय नागरी गुरमुखी गुजराती ओडिया तमिल तेलुगु कन्नड मलयालम तिब्बती बर्मी
0
1
2
3
4
5
6
7
8
9

सन्दर्भ

  1. प्राचीन लिखित सिंहलीमा मात्र

वाह्य सूत्र