"सम्भोट लिपि" का संशोधनहरू बिचको अन्तर
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१४:०३, २१ नोभेम्बर २०१६ जस्तै गरी पुनरावलोकन
सम्भोट लिपि | |
---|---|
समयावधि | c. ६५०–वर्तमान |
लेखन दिशा | बायाँ देखि दायाँ |
क्षेत्र | तिब्बत, भुटान, नेपाल , भारत र मङ्गोलिया, |
भाषाहरू | तिब्बती, भुटानी, शेर्पा, योल्मो, डोल्पाली, मुगुम, लाद्दखी, सिक्किमी, तामाङ, गुरुङ, जोङ्खा, छङ्ल्हा |
सम्बन्धित लिपिहरू | |
अभिभावक लिपिहरू | |
बालबालिका लिपिहरू | लिम्बु, लेप्चा, फग्पा |
सम्भोट लिपि सातौं शताब्दीमा तिब्बतको धर्म राजा स्रोङ्चन गम्पो (Tib: སྲོང་བཙན་སྒམ་པོ།, Wylie: srong btsan sgam po, ५६९–६४९?/६०५–६४९?)को मंत्री थोन्मि सम्भोट (Thönmi Sambhoṭa, aka Tonmi Sambhodha;, Tib. ཐོན་མི་སམྦྷོ་ཊ།, Wyl. thon mi sam+b+ho Ta; b. seventh cent.) ले राजाको अज्ञानुसार भारतको विद्वान लिपिकारहरूबाट शब्द-विद्याको ज्ञान हासिल गर्नुभई तिब्बतमा फर्के पछि अविष्कार गर्नु भएको चार स्वरवर्ण र तीस व्यंजन वर्णका अक्षरलाई भनिन्छ।
इतिहास
सम्भोट लिपिको आविष्कार सातौं शताब्दीको मध्य तिर तिब्बतको धर्म राजा स्रोङ्चन गम्पोको शासनकालमा थोन्मि सम्भोटले गर्नुभएको थियो। राजा स्रोङ्चन गम्पोले आफ्नो देशमा पनि छिमेकी मुलुक चीन, नेपाल र भारत इत्यादि झैँ लिपिको प्रयोग द्वारा देशको इतिहास र संविधान आदिको निर्माणकार्य साथै विशेष गरि भारतबाट बौद्ध ग्रन्थहरू तिब्बती भाषामा अनुवाद गर्नुको लागि थोन्मि सम्भोटलाई भारतमा शब्दविद्यको शिक्षा आर्जनको निम्ति पठाएको र थोन्मिले भारतको विद्वानहरू बाट शिक्ष प्राप्त गरि आफ्नो देशमा फर्के पछि रञ्जना लिपिको आधारमा उचन र वार्तु लिपिको उदारण लिएर उमेदको लिपि रचना गर्नुको साथै तिब्बती भाषाको लागि व्याकरण मूल त्रिंशत् र लिङ्गावतर आदि आठवटा व्याकरणका पुस्तकहरू पनि लेखेको कुरा इतिहास हरूमा उल्लिखित भएपनि हाल ति कृतिहरू मथ्ये मूल त्रिंशत् र लिङ्गावतर मात्र बाँकी रहेको छ। लिपि र व्याकरणको सृजन साथै भारत बाट ल्याएको अवलोकितेश्वरको एक्काइस सुत्र-तन्त्र आदिको अनुवाद पनि लिपि निर्माता थोन्मि स्वयम् ले तिब्बती भाषामा गर्नु भएकोले थोन्मि सम्भोटलाई तिब्बतको पहिलो अनुवादक (लोचावा) पनि मानिन्छ।
अनुवाद र लिप्यंतरण
तिब्बतको धर्म राजा स्रोङ्चन गम्पोको राज्यकालमा सम्भोट लिपिको आविष्कार भएदेखि धर्म राजा ठ्रीस्रोङ देउचन र राजा ठ्री रल्पचनको शासनकाल सम्ममा भारत, नेपाल र चिन आदि छिमेकी देशबाट धेरै विद्वान पण्डित र अनुवादकहरूले संस्कृत, प्राकृत, पैशाची र अवभ्रंश इत्यादि भाषाहरूमा रहेका त्रिपिटक र भारतीय बौद्ध विद्वान आचार्य नागार्जुन तथा आचार्य अर्यादेव आदिको टीका लेखहरू लगायतका बौद्ध ग्रन्थलाई सम्भोट लिपिमा अनुवाद र लिप्यंतरण गरिएको पाईन्छ। राजा वुदुम चन्पोको मृत्यु पछि तिब्बतको राजनीतिक परिस्थिति बिक्रेको समयमा पनि छिमेकी मुलुकका सुविज्ञ पण्डित र अनुवादकहरूले सक्यपाको शासनकाल सम्म अनुवादको कार्य क्षेत्रमा ठुलो योगदान पुरयाउनु भएको बारे तिब्बतको राजनीतिक र धार्मिक इतिहास दुवैमा विस्तृत रूपले उल्लेख गरिएको भेटिन्छ।[१]
लिपि संशोधन
- पहिलो लिपि संशोधन -राजा स्रोङ्चन गम्पोको शासनकाल देखि राजा ठ्रीस्रोङ देउचनको शासनकाल सम्ममा
- दोस्रो लिपि संशोधन - राजा ठ्री रल्पचनको शासनकालमा
- तेस्रो लिपि संशोधन - गुगेको राजा ल्हालामा ज्याङ्छुव वोदको शासनकालमा
मूल वर्णमाला
सम्भोट लिपिको चार स्वरवर्णहरू | ||||
---|---|---|---|---|
ཨི་ | ཨུ་ | ཨེ་ | ཨོ་ | |
सम्भोट लिपिको तीस व्यंजन वर्णहरू | ||||
ཀ་ | ཁ་ | ག་ | ང་ | क वर्ग |
ཅ་ | ཆ་ | ཇ་ | ཉ་ | च वर्ग |
ཏ་ | ཐ་ | ད་ | ན་ | त वर्ग |
པ་ | ཕ་ | བ་ | མ་ | प वर्ग |
ཙ་ | ཚ་ | ཛ་ | ཝ་ | च़ वर्ग |
ཞ་ | ཟ་ | འ་ | ཡ་ | श़ वर्ग |
ར་ | ལ་ | ཤ་ | ས་ | र वर्ग |
ཧ་ | ཨ་ | ह वर्ग |
संख्या
सम्भोट | ༠ | ༡ | ༢ | ༣ | ༤ | ༥ | ༦ | ༧ | ༨ | ༩ |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
नेपाली | ० | १ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ |
चिन्ह र विराम
चिन्ह र विराम | नाम | कार्य |
---|---|---|
༄ | ཡིག་མགོ་ yig-mgo |
पाठ को शुरुवात निशान |
༈ | སྦྲུལ་ཤད། sbrul-shad |
विषय र उप विषयहरूको वर्ग छुट्याउछ |
་ | ཚེག tseg |
सीमांकक |
། | ཆིག་ཤད། chig-shad |
पूर्ण बिराम (पाठको एक खण्ड अन्त जनाउछ) |
༎ | ཉིས་ཤད། nyis-shad |
पूर्ण बिराम (पूर्ण विषयको अन्त जनाउछ) |
༴ | བསྡུས་རྟགས། bsdus-rtags |
पुनरावृत्ति |
༼ | ཨང་ཁང་གཡོན་པ། ang-khang gyon |
बायाँ कोष्ठ |
༽ | ཨང་ཁང་གཡས་པ། ang-khang gyas |
दायाँ कोष्ठ |
वर्गीकरण
सम्भोट लिपि प्रयोग गर्ने मुलुक
- चीन
- भुटान
- नेपाल
- भारत
- मंगोलिया
सम्भोट लिपि प्रयोग गर्ने जाति
सन्दर्भ सामग्री
- ↑ Gur-bkra-chos-'byung, पुर्वानुदित बौद्ध सम्प्रदायको धार्मिक इतिहास (१८०७-१८७३) | लेखक: गुरु ट्राशी | भाषा: तिब्बती | सन् १९८७ मा तिब्बत शैक्षिक अनुसन्धान केन्द्र बाट प्रकाशित