शङ्करदेव
स्वरूप
शङ्करदेव | |
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শ্ৰীমন্ত শংকৰদেৱ | |
व्यक्तिगत | |
जन्म | २६ सेप्टेम्बर १४४९, |
मृत्यु | ७ सेप्टेम्बर १५६८ |
धर्म | हिन्दु धर्म |
संस्थापक | एकशरण धर्म |
दर्शन | एकशरण |
धार्मिक जीवन | |
उत्तराधिकारी | माधवदेव |
सम्मान | 'महापुरुष' भनेर पुजिन्छ |
श्रीमन्त शङ्करदेव ( असमीया : শ্ৰীমন্ত শংকৰদেৱ) असमिया भाषाका एक धेरै प्रसिद्ध कवि, नाटककार, गायक, नर्तक, सामाजिक आयोजक, र हिन्दू समाज सुधारक थिए। उनले नववैष्णव वा एकाशरण धर्मको प्रचार गरेर असमिया जीवनलाई सङ्कलन र सुदृढ गरे।
रचना
[सम्पादन गर्नुहोस्]शङ्करदेवद्वारा रचित पहिलो कविता यस प्रकार छ-
- करतल कमल कमल दल नयन।
- भबदब दहन गहन बन शयन॥
- नपर नपर पर सतरत गमय।
- सभय मभय भय ममहर सततय॥
- खरतर बरशर हत दश बदन।
- खगचर नगधर फनधर शयन॥
- जगदघ मपहर भवभय तरण।
- परपद लय कर कमलज नयन॥
काव्य
[सम्पादन गर्नुहोस्]- हरिश्चन्द्र उपाख्यान
- अजामिल उपाख्यान
- रुक्मिणी हरण काव्य
- बलिछलन
- अमृत मन्थन
- गजेन्द्र उपाख्यान
- कुरुक्षेत्र
- गोपी-उद्धव संवाद
- कृष्ण प्रयाण - पाण्डव निर्वारण
भक्तितत्त्व प्रकाशक ग्रन्थ
[सम्पादन गर्नुहोस्]- भक्ति प्रदीप
- भक्ति रत्नाकर (संस्कृत)
- निमि-नव-सिद्ध संवाद
- अनादि पातन
अनुवादमूलक ग्रन्थ
[सम्पादन गर्नुहोस्]- भागवत प्रथम, द्वितीय
- दशम स्कन्धर आदिछोवा
- द्बादश स्कन्ध
- रामायणर उत्तरकाण्ड
नाटक
[सम्पादन गर्नुहोस्]- पत्नी प्रसाद
- कालिय दमन
- केलि गोपाल
- रुक्मिणी हरण
- पारिजात हरण
- राम विजय
गीतः
[सम्पादन गर्नुहोस्]- बरगीत[१]
- भटिमा (देवभटिमा, नाटभटिमा, राजभटिमा)
- टोटय
- चपय
नाम-प्रसंग ग्रन्थ
[सम्पादन गर्नुहोस्]- कीर्तन घोषा
- गुणमाला
- हरिश्चन्द्र उपाख्यान
- भक्ति प्रदीप
- अनादि पतन
- अजामिल उपाख्यान
- अमृत मन्थन
- बलि छलन
- आदि दशम
- कुरुक्षेत्र
- निमि-नव-सिद्ध संवाद
- उत्तरकाण्ड रामायण (अनुवाद)
- पत्नीप्रसाद, कालिय दमन यात्रा, केलि गोपाल, रुक्मिणी हरण, पारिजात हरण, राम विजय आदि नाटक
- भक्तिरत्नाकर (संस्कृत)