ऐतरेय उपनिषद्
यस शृङ्खलाको एक भाग |
हिन्दू शास्त्रहरू |
---|
![]() |
वेद |
ऋग्वेद · यजुर्वेद सामवेद · अथर्ववेद |
वेदांगहरू |
शिक्षा · छन्दः व्याकरण · निरुक्त कल्प · ज्योतिष |
उपनिषद |
ऋग्वेदीय ऐतरेय |
पुराणहरू |
ब्रह्म पुराणहरू ब्रह्म पुराण · ब्रह्माण्ड पुराण ब्रह्मवैवर्त पुराण मार्कण्डेय पुराण · भविष्य पुराण विष्णु पुराणहरू
विष्णु पुराण · श्रीमद्भागवत् पुराण नारदेय पुराण · गरुड पुराण · पद्म पुराण · अग्नि पुराण |
हिन्दू महाकाव्यहरू |
महाभारत (भगवद्गीता) |
अन्य शास्त्रहरू |
मनुस्मृति अर्थशास्त्र · आगम तन्त्रहरू · पञ्चतन्त्र सूत्रहरू · स्तोत्रहरू धर्मशास्त्र दिव्य प्रबन्ध तेवरम् रामचरितमानस योगवशिष्ठ |
शास्त्रका विभेद |
श्रुति · स्मृति |
ऐतरेय उपनिषद्को सम्बन्ध ऋग्वेदसित छ। ऐतरेय भित्र पाँच मुख्य अध्याय (आरण्यक) छन् जसमा प्रथम तीनका रचयिता ऐतरेय, चतुर्थका आश्वलायन तथा पञ्चमका शौनक मानिन्छन्। डाक्टर कीथ यसलाई निरुक्तको अपेक्षा अर्वाचीन मानेर यसको रचनाकाल षष्ठ शताब्दी विक्रमपूर्व मान्दछन्, परन्तु वस्तुत: यो निरुक्त भन्दा पुरानो। ऐतरेयका प्रथम तीन आरण्यकहरू रचयिता महिदास हुन् यसले गर्दा उनलाई ऐतरेय ब्राह्मणको समकालीन मान्दा हुन्छ।